जेल में बंद कैदियों के लिए कोरोना की बीमारी मन माफिक मुराद के पूरा होने के जैसे है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के कारागारों में बंद करीब 11,000 बंदियों को 8 सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत पर तत्काल रिहा करने के आदेश दिए हैं. इसमें 8500 विचाराधीन और 2500 सिद्धदोष बंदी शामिल हैं.
अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर समस्त प्रदेशों में राज्य विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष, अपर मुख्य सचिव गृह/कारागार व महानिदेशक कारागार की एक कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी द्वारा विचार विमर्श के बाद राज्य में बंदियों को पैरोल पर छोड़ने का फैसला किया गया है. हालांकि इन रिहा होने वाले कैदियों की स्थानीय पुलिस प्रशासन लगातार निगरानी करेगा.
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में अब तक कोरोना वायरस के 55 प्रकरण सामने आए हैं. अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण से 13 जिले प्रभावित हैं. 55 मरीजों में से 14 मरीज ऐसे हैं, जो पूरी तरह स्वस्थ्य हो गए और उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है. 41 मरीज अभी भी भर्ती हैं, इनका इलाज हो रहा है. उन्होंने कहा कि इसमें से किसी भी मरीज की स्थिति गंभीर नहीं है, सबके सब स्टेबल हैं.
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 8 प्रयोगशालाओं में लगातार परीक्षण हो रहा है. तीन प्रयोगशालाएं लखनऊ में हैं. 2196 सैंपल लिए गए हैं. 5,000 से ज्यादा आइसोलेशन बेड तैयार हो चुके हैं. इसे बढ़ाकर 15,000 बेड तक ले जाने की क्षमता है. प्राइवेट अस्पतालों ने भी आफर किया है कि जरूरत पड़ने पर वे अपने अस्पतालों को कोविड अस्पताल में परिवर्तित कर देंगे. उन्होंने कहा कि कोरंटाइन के लिए 6000 का बेड का इंतजाम किया जा चुका है.
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